हमारे देश की कानून व्यवस्था में देर हो सकती है पर अंधेर नहीं.सच चाहे लाख पर्दों में छिपाया जाए बाहर आता जरूर है। करीब 7 साल पहले पंजाब के चंडीगढ़ के एक पार्क में बेहद ही सनसनीखेज मर्डर हुआ.
ये मर्डर किसी और का नहीं बल्कि शहर के जाने-माने नैशनल लेवल के शूटर सुखमनप्रीत सिंह उर्फ सिप्पी सिद्धू का था. जो खुद कॉर्पोरेट वकील भी थे
इनकी हत्या होती है और खुद जज और वकील से ताल्लुकात रखने वाला परिवार इंसाफ की लड़ाई लड़ने लगा. साल 2015 में हुई हत्या पर सीबीआई ने अब एक iPhone और पुरानी तकनीक के आधार पर खुलासा किया और मर्डर मिस्ट्री की पूरी कहानी बताई है।
तो आइए आपको एक और क्राइम की सच्ची घटना की ओर लिये चलते हैं
तारीख 20 सितंबर 2015. जगह पंजाब के चंडीगढ़ में सेक्टर-27 के पास का एक खूबसूरत पार्क. रात के करीब 9 से 10 बजे के बीच की घटना है. अचानक फायरिंग की आवाज आती है. एक या दो नहीं…बल्कि 4 से 5 राउंड फायरिंग होती है. गोली की आवाज सुनकर पास के एक मकान की महिला बालकनी में आ जाती हैं. जहां से गोली की आवाज आई थी. लेकिन वो कौन थी. इसका पता नहीं चल पाया था. फायरिंग की आवाज सुनकर लोगों ने पुलिस को सूचना दी.
चंडीगढ़ के सेक्टर-26 थाने की पुलिस मौके पर पहुंची. पुलिस ने तुरंत घायल हालत में मौजूद सिप्पी को अस्पताल में भर्ती कराया. जहां उन्हें मृत घोषित कर दिया गया. मृतक के पास से एक मोबाइल फोन मिला . जिसके आधार पर पहचान सिप्पी सिद्धू के तौर पर की गई.
इधर, देर रात तक घर नहीं लौटने पर सिप्पी के परिवारवाले परेशान थे. सिप्पी की मां दीपइंद्र कौर रात में ही गुरुद्वारे में आकर पाठ करने लगीं वे बेटे की लंबी उम्र की दुआ मांग रहीं थीं. तभी उनके पास थाना सेक्टर –26से एसएचओ पूनम दिलावरी का फोन आया.
एसएचओ ने सिप्पी के एक्सिडेंट का हवाला देते हुए परिवार को अस्पताल बुलाया परिवार के लोग अस्पताल पहुंचे मगर तब तक सिद्धू की मौत हो चुकी है.
ये एक्सिडेंट नहीं बल्कि मर्डर था. हत्या गोली मारकर की गई थी. 4 गोली मारी गई थी. परिवार का रो-रोकर बुरा हाल था.
पुलिस ने पूछताछ शुरू की तो घटना के दौरान बालकनी से देखने वाली एक महिला के बारे में जानकारी मिली. उस महिला ने बताया कि जब वो अपने घर के फर्स्ट फ्लोर में मौजूद थीं तब उन्होंने गोलियों के साथ एक लड़की की चीख सुनी थी. इसलिए वो बालकनी की तरफ गईं. वहां से देखा कि घर के नजदीक एक सफेद रंग की कार खड़ी है. फिर उसी कार की तरफ तेजी से आ रही एक लड़की को भी देखा था. पर पूरी तरह से पहचान नहीं पाई थी.
इसके बाद पुलिस ने अज्ञात के खिलाफ हत्या की रिपोर्ट दर्ज जांच की लेकिन कोई सुराग नहीं मिला. इधर, सिप्पी का परिवार इस हत्या के पीछे एक लड़की का नाम खुलकर ले रहा था. पर वो लड़की भी कोई साधारण नहीं थी. बल्कि मौजूदा जज की बेटी थी. पुलिस भी आसानी से हाथ नहीं डालना चाहती थी. इसलिए परिवार ने मामले की जांच सीबीआई से कराने की मांग की थी.
मामले की गंभीरता को देखते जांच सीबीआई को दे दी गई. 13 मार्च 2016 को रिपोर्ट दर्ज कर सीबीआई ने जांच भी शुरू कर दी. लेकिन सीबीआई के सामने एक बड़ा संकट यह था कि वारदात में एक लड़की तो है लेकिन कोई सबूत नहीं है. आरोप भी जज की बेटी पर है. बिना सबूत कोई भी कारवाही नहीं की जा सकती . कोई बबाल न हो इसलिए सीबीआई भी एक-एक कदम फूंक-फूंक कर चल रही थी.।
इस केस की जांच कर रही सीबीआई ने भी उस समय अखबार में सुराग देने वाले को लेकर एक विज्ञापन निकाला था. सितंबर 2016 में सीबीआई के अधिकारियों ने सिप्पी सिद्धू की हत्या केस में सुराग देने वाले को 5 लाख रुपये का इनाम देने की ऐलान किया था.
ये भी कहा गया है कि इस बात के कई सबूत हैं कि हत्या के समय एक महिला मौका ए वारदात पर थी. जिसने गोली मारी वो उसी महिला के इशारे पर मारी. अगर महिला निर्दोष है तो उसे खुद सामने आकर संपर्क करने का मौका दिया जा रहा है. अगर वो ऐसा नहीं करती है तो हम ये मान लेंगे कि इस क्राइम में वो पूरी तरह से शामिल है.
लेकिन सीबीआई का ये दांव भी काम नहीं आया. कोई भी लड़की सामने नहीं आई. और ना ही कोई सुराग मिला. आखिरकार सीबीआई भी थक गई. पूरी तरह से हार गई. और फिर दिसंबर 2020 में सीबीआई ने स्पेशल कोर्ट में अनट्रेस रिपोर्ट लगा दी.
अनट्रेस रिपोर्ट का मतलब ये कि केस में कुछ भी पता नहीं चल पाया. अब यहीं से सिप्पी के हत्यारे की तलाश के लिए लोग सड़क पर उतरे. जस्टिस फॉर सिप्पी का अभियान चलाया गया. सिप्पी सिद्धू के परिवार ने इसका विरोध किया, फिर स्पेशल कोर्ट ने भी अनट्रेस रिपोर्ट को खारिज कर दिया. इसके साथ ही कोर्ट ने सीबीआई को फिर से इस केस में तेजी लाने का आदेश दिया.
2 असल में जब केस में कोर्ट की फटकार पड़ी तब सीबीआई ने शक के आधार पर सिप्पी सिद्धू की बचपन की दोस्त रही कल्याणी से पूछताछ की. पॉलीग्राफी टेस्ट भी किया. लेकिन कोई जानकारी नहीं मिल पाई. बल्कि एक तरह से इसे भी चकमा दे दिया गया ।
आखिरकार सीबीआई के पास अब क्राइम की जांच का एक ही तरीका बचा था…. पहचान परेड. यानी टेस्ट आइडेंटिफिकेशन परेड
इस केस में भी घटना की चश्मदीद रही उस महिला से पहचान कराई. और उन्होंन कल्याणी सिंह की पहचान कर ली. इस तरह और दो गवाह यानी कुल 3 गवाहों ने कल्याणी की पहचान की. इसके बाद सीबीआई ने पूरे मामले में कल्याणी सिंह के खिलाफ सबूत पेश कर उससे पूरे घटना की जानकारी जुटाई और पूछताछ की तब आखिरकार उसने पूरी घटना का खुलासा कर दिया.
इसके अलावा इस केस में घटनास्थल से एक iPhone मिला था. इस फोन को सिप्पी सिद्धू ने ही कल्याणी को मर्डर से दो महीने पहले ही गिफ्ट किया था. इस आधार पर भी सीबीआई को बड़ा सबूत मिला था.
पूरा मामला कुछ इस तरह का था…
असल में सिप्पी सिद्धू और कल्याणी का परिवार वकालत से जुड़ा था. दोनों का परिवार एक दूसरे को 30 साल से जानता था. दोनों परिवारों में अच्छे रिश्ते थे. कल्याणी सिंह की मा हिमाचल प्रदेश हाई कोर्ट की एक्टिंब चीफ जस्टिस सबीना सिंह हैं. बचपन से ही कल्याणी और सिप्पी सिद्धू दोस्त थे
बड़े होने पर दोनों के बीच प्यार पनपने लगा. सिप्पी नैशनल लेवल के शूटर के साथ कॉर्पोरेट वकालत भी करते थे. वहीं, कल्याणी चंडीगढ़ के एक कॉलेज में होम साइंस विभाग में असिस्टेंट प्रोफसर थीं. कल्याणी अब सिप्पी सिद्धू से शादी करना चाहती थी. पर सिप्पी का परिवार इस शादी के खिलाफ था.
सीबीआई ने CRPC की धारा-167 के तहत कल्याणी से जब पूछताछ कर रिपोर्ट बनाई तो उससे पूरी घटना का खुलासा हुआ है. असल में कल्याणी ने बताया कि सिद्धू ने उसके साथ की कुछ प्राइवेट अश्लील तस्वीरें अपने फोन में सेव कर ली थी. जिसके बारे में उसे कोई जानकारी नहीं थी. अब कल्याणी ने जब शादी के लिए दवाब बनाया तो सिप्पी अपने परिवार के कहने पर मना करने लगा था.
कल्याणी द्वारा बार बार शादी के लिए कहने पर उसने गुस्से में आकर वो तस्वीरें कल्याणी के रिश्तेदारों और दोस्तों को भेज दी. इससे कल्याणी को बहुत गुस्सा आया. उसे शर्मसार होना पड़ा. यहीं से उसने ठान लिया कि अब सिद्धू से शादी तो नहीं करनी है और साथ ही उसे अब जिंदा भी नहीं छोड़ूंगी. इसलिए जब 18 सितंबर 2015 को कनाडा से सिद्धू चंडीगढ़ लौटा तो वो दूसरे नंबर से उसे कॉल कर संपर्क करने लगी थी.
3 पहले 18 सितंबर 2015 को कल्याणी ने दूसरे नंबर से सिप्पी को फोन किया था. इसके बाद कुछ ऐसी बातें कहीं जिसके बाद 20 सितंबर की रात में पार्क में मिलने के लिए सिप्पी तैयार हो गया. फिर एक अज्ञात हमलावर के साथ कल्याणी वहां मौजूद थी. सिप्पी पर वहां 4 गोलियां मारीं गईं थीं.
अब इस बयान के बाद आखिरकार सीबीआई ने कल्याणी को गिरफ्तार कर लिया. इस तरह 7 साल बाद एक हत्या से पर्दा पूरी तरह उतर पाया. वैसे इस वारदात में कातिल सबके सामने था पर कोई सबूत नहीं था. लेकिन आखिरकार अब सिप्पी के परिवार को इंसाफ मिला है.
इस बारे में सिप्पी की मां दीपइंद्र कौर कहती हैं कि कल्याणी ने उस दिन अंजान नंबर से फोन किया था इसलिए वो समझ नहीं पाईं थीं. वो कहती हैं कि कल्याणी खुद को डिप्रेशन में होने की बात कहकर उसे फंसाती थी. घटना वाले दिन भी उसने कहा सिप्पी से कहा था कि मेरा डिप्रेशन ठीक हो गया है और बस एक गोली बाकी रह गई है.
अब मुझे क्या पता कि वो गोली कोई दवाई नहीं बल्कि जान लेने वाले कारतूस की बात कर रही थी. सिप्पी की मां कहती हैं कि 7 साल बाद खूनी पकड़ी गई और अब उसे फांसी के बजाय उम्रकैद की सजा मिले ताकि वो पूरी जिंदगी मरते दमतक जेल में ही गुजारे.।