आगरा के सिकंदरा आवास विकास कालोनी सेक्टर दस में बुधवार की सुबह दिल दहला देने वाली घटना हुई। कमरे में सोनू शर्मा (35) उनकी पत्नी गीता देवी (32) और नौ वर्षीय बेटी सृष्टि के शव फंदे पर लटके मिले। सामूहिक खुदकुशी का कारण बेरोजगारी एवं आर्थिक तंगी बताया गया है।
मां कांता देवी ने बताया कि हरिद्वार से लौटने के बाद से सोनू कहने लगा था कि उस पर किसी का साया आ गया है। वह उसे परिवार के लोगों से दूर रहने की कहता है। जिसके चलते बेटा भी परिवार के लोगों से दूरी बनाकर रहता था। बेटे पर ऊपरी साया हटाने के लिए वह उसे आगरा और मथुरा के कई तांत्रिकों के पास झाड़-फूंक को लेकर गए।
तांत्रिकों का कहना था कि सोनू पर किसी बलशाली का साया है, जो उनके वश में भी नहीं आ रहा है। मां ने बताया कि उसे मनोचिकित्सक को भी दिखाया। उन्होंने उसे दवाएं दीं, जिनसे कोई फायदा नहीं हुआ। जिसके बाद उन्होंने साेनू को तांत्रिकों और डाक्टरों के पास ले जाना छोड़ दिया था।
सोनू और गीता द्वारा सामूहिक खुदकुशी की तैयारी दो सप्ताह पहले से ही तो नहीं शुरू कर दी गई थी। यह सवाल इसलिए उठा है कि दोनों 15 दिन से अपने कमरे से नीचे नहीं आ रहे थे। गीता ने सास और ननद को कहलवा दिया था कि गिरने के चलते उसकी कमर में चोट लग गई है। जिसके चलते वह सीढ़ियां नहीं उतर सकती। दंपती के बेटे-बेटी ही नीचे आते थे।
ननद और सास उनके लिए खाना बनाकर भेज देते थे। एक सप्ताह से गीता भी थोड़ा बहुत काम करने लगी थी। जिससे आशंका है कि सोनू और गीता दाेनों बच्चों के साथ सामूहिक खुदकुशी की तैयारी कर रहे थे। सोनू बेटी को बेहद प्यार करता था। इस दौरान बेटी को खुदकुशी के लिए उन्होंने तैयार कर लिया, लेकिन बेटे को नहीं मना सके। आशंका है कि दंपती ने पहले बेटी को फंदे पर लटकाया, जिसके बाद खुद बारी-बारी से लटक गए।
नौ साल की सृष्टि याने सोनू की बेटी परिवार में सबकी चहेती थी। दादी के लिए सुबह उठकर दूध वही लेकर आती थी। चाची का हर काम भी वही करती थी। बुधवार उसका शव फंदे से उतारते ही परिवार के लोग उससे लिपटकर रोने लगे।
दंपती का दस वर्षीय पुत्र सहमा हुआ था। कमरे में टीवी चलता हुआ मिला। परिवार ने रात 11 बजे खाना खाया था। श्याम ने बताया कि पापा ने खाना नहीं खाया था।
परिवार ने बताया करीब 15 साल पहले उसकी गीता से मुलाकात हुई। दोनों में प्यार हो गया, उन्होंने 14 साल पहले प्रेम विवाह कर लिया। जिसके बाद वह गीता को अपने साथ लेकर हरिद्वार चला गया। करीब पांच साल तक वहां रहा, दोनों बच्चे भी वहीं रहे थे।
मां कांता देवी ने बताा कि सोनू हरिद्वार में एक आक्सीजन सिलेंडर बनाने वाली फैक्ट्री में काम करता था। वहां पर करीब आठ साल पहले एक हादसे में उसके कंधे की हड्डी टूट गई। जिसके बाद वह परिवार समेत आगरा आ गया। खंदारी क्षेत्र में किराए पर कमरा लेकर रहने लगा। बेटे के परिवार का खर्चा वही उठा रही थीं। चार साल पहले उसके लिए अपने मकान की दूसरी मंजिल पर कमरा बनवा दिया। बेटे-बहू को यहीं पर बुला लिया था।और यहीं पर इस घटना को अंजाम दिया गया।