बिहार में शिक्षा व्यवस्था पर लगातार सवाल उठ रहे हैं, कहीं स्कूल का इन्फ्रासट्रक्चर तो कहीं कॉलेज में पढ़ाई नहीं होना मुद्दा बनता रहा है। इसी बीच प्रोफ़ेसर ललन कुमार का अनोखा विरोध अब सुर्खियों में है। दरअसल मुजफ्फरपुर के भीमराव अम्बेडकर बिहार यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर ने अपनी तीन साल की सैलरी 23 लाख 82 हजार 228 रुपए यूनिवर्सिटी को यह बोलते हुए लौटा दी कि पढ़ाई नहीं तो तनख्वाह नहीं। ग़ौरतलब है कि वह तीन साल से विश्विद्यालय को पत्र लिख कर ऐसे कॉलेज में नियुक्ति की मांग कर रहे थे जहां बच्चे पढ़ने आते हों। प्रशासन ने प्रोफेसर ललन कुमार की मांग को अंदेखा कर दिया, इन सब मामलों से परेशान होकर उन्होंने अपनी तीन साल की तन्ख्वाह वापस करते हुए इस्तीफ़े की पेशकश कर दी।
उन्होंने बताया कि बीपीएससी के ज़रिए 24 सितंबर 2019 को बतौर असिस्टेंट प्रोफेसर चयन हुआ था। भीम राव अम्बेडकर बिहार यूनिवर्सिटी के तत्कालीन वाइस चांसलर राजकुमार मंडिर ने सभी चयनित प्रोफेसरों की पोस्टिंग नियमों और शर्तों को बताते हुए मनमाने तरीके से की थी।
यूनिवर्सिटी के तत्कालीन वाइस चांसलर राजकुमार मंडिर पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि रैंक और मैरिट को दरकिनार करते हुए उन्होंने कम अंक वाले लोगों को पीजी और बेहतरीन कॉलेज दिए। वहीं बेहतर रैंक और अच्छे मेरिट वालों को ऐसे कॉलेज दिए गए जहां पढ़ाई ही नहीं होती है। ललन कुमार ने कहा कि तीन सालों में छह बार तबादला और पोस्टिंग हुई लेकिन जिस कॉलेज में गया वहां किसी प्रकार की पढ़ाई ही नहीं होती है। प्रोफेसर का कहना है कि मैं चाहता हूं कि अपने ज्ञान का सदुपयोग कर सकूं। लेकिन कई बार आवेदन देने के बाद भी तबादला नहीं किया गया। अपनी परेशानियों का ज़िक्र करते हुए ललन कुमार ने कहा कि मेरी बातों को अनदेखा कर दिया गया। इसलिए मैंने अपनी अंतरात्मा की सुनते हुए मुझे मिली तीन साल की तनख्वाह को विश्विविद्यालय को लौटाने का फ़ैसला लिया है। 25 सितंबर 2019 से मई 2022 तक मिली पूरी सैलरी यूनिवर्सिटी को वापस कर देना चाहता हूं। बिना काम के सैलरी लेना मेरे नैतिकता के खिलाफ है।
प्रोफेसर को राष्ट्रपति की तरफ़ से ग्रेजुएशन में एकेडमिक एक्सिलेंस अवार्ड से सम्मानित भी किया गया।
यूनिवर्सिटी के रजिस्ट्रार ने बताया कि किसी भी प्रोफेसर से सैलरी वापस लेने का किसी तरह का कोई प्रावधान नहीं है। मामले को गंभीरता से लेते हुए शिकायत की जांच कराई जाएगी। इसके साथ ही ललन कुमार जिस कॉलेज में तबादला चाहते हैं उन्हें तत्काल वहां डेप्युटेशन दे दिया जाएगा। अभी ललन कुमार का चेक और इस्तीफ़ा क़बूल नहीं किया गया है।