हम सभी जानते है, आज जनसंख्या के साथ-साथ अपराध भी बढ़ रहे हैं, कभी बलात्कार, कभी हत्या, तो कभी अपहरण। कोई क्राइम हाेने पर सबसे पहले एक ही लाइन कही जाती है– FIR करवा दो, लेकिन ज्यादातर लोगों को पता नहीं होता है कि FIR कैसे लिखवाना है। इसके लिए थाने जाना जरूरी है या ऑनलाइन भी FIR दर्ज कराई जा सकती है। अगर पुलिस FIR दर्ज न करे तो क्या करना चाहिए, पीड़ित के क्या-क्या अधिकार होते हैं
आइये चरणबद्ध तरीके से जानते है
सबसे पहले ये जान लीजिये- क्या FIR दर्ज करने के लिए हमेशा पुलिस स्टेशन जाना जरूरी है?
आपको बता दें , FIR दर्ज करने के लिए हमेशा पुलिस स्टेशन जाना जरूरी नहीं है। इसे आपऑनलाइन भी दर्ज करा सकते हैं।
एक चिट्ठी लिखकर भी दर्ज करा सकते हैं।
मेल और फेसबुक के जरिए भी FIR दर्ज करा सकते हैं।
पुलिस ऐप का इस्तेमाल करके भी FIR दर्ज करा सकते हैं।
पुलिस खुद की सूचना से FIR दर्ज कर सकती है।
कुछ मामलों में पुलिस आपके पास आकर भी रिपोर्ट दर्ज करती है।
FIR यानी फर्स्ट इंफॉर्मेशन रिपोर्ट। दण्ड प्रक्रिया संहिता यानी CrPC 1973 के सेक्शन 154 में FIR का जिक्र है। क्राइम रिलेटेड घटना के संबंध में पुलिस के पास कार्रवाई के लिए दर्ज की गई पहली सूचना को प्राथमिकी या फर्स्ट इंफॉर्मेशन रिपोर्ट यानी FIR कहा जाता है,
CrPC की धारा 157(1) के मुताबिक, पुलिस मामला दर्ज कर FIR की रिपोर्ट जिले के या संबंधित मजिस्ट्रेट तक 24 घंटे के अंदर भेज देती है,देश में हर व्यक्ति को शिकायत के तौर पर FIR दर्ज कराने का अधिकार है। अगर कहीं भी संज्ञेय अपराध यानी Cognizable Offence हो रहा है, तो ऐसे में रिपोर्ट दर्ज करवाने के बाद ही पुलिस छानबीन कर सकती है
आपको बता दें पुलिस FIR दर्ज करने के लिए कोई पैसे नहीं मांग सकती है, न ही FIR की कॉपी देने के लिए कोई रकम ले सकती है।
अगर पुलिस आपकी FIR दर्ज नहीं करती है तो आपको करना है ये-
ऐसे में आप सीधे पुलिस सुपरिटेंडेंट (SP) या इससे ऊपर डिप्टी इंस्पेक्टर जनरल ऑफ पुलिस (DIG) और इंस्पेक्टर जनरल ऑफ पुलिस (IG) से शिकायत कर सकते हैं।
आप इन अधिकारियों को अपनी शिकायत लिखित रूप में ऑफिस जाकर दें। चाहें तो इसे पोस्ट के जरिए भेज सकते हैं। वे अपने स्तर पर से इस मामले की जांच करेंगे या जांच का ऑर्डर भी देंगे।
कई राज्यों में CM helpline नंबर मौजूद है। आप अपने राज्य के CM तक अपनी बात पहुंचाना चाहते हैं, तो CM helpline नंबर पर शिकायत करें।
अगर महिला के साथ अपराध हुआ है, तो वो FIR दर्ज न होने पर महिला आयोग को इसकी सूचना दे सकती है।
इन सबसे भी अगर कोई असर नहीं हुआ, तो सीधे कोर्ट में 156(3) के तहत शिकायत दर्ज करवा सकते हैं।
आये आपको बताते है, FIR क्या क्या लिखा जाताहै
FIR लिखते या लिखवाते वक्त उसमें बारीक से बारीक डिटेल होनी चाहिए। जैसे- अपराध के वक्त चांदनी रात थी या अंधेरा था। लैंप पोस्ट वहां आसपास था कि नहीं। अगर था तो उसकी रोशनी कितनी दूर तक की थी।
घटना की तारीख, समय, जगह और आरोपी की पहचान (अगर उसे जानते-पहचानते हैं तब) उसमें होना चाहिए।
इसमें घटना के सही तथ्य और घटना में शामिल व्यक्तियों के नाम और डिटेल शामिल होने चाहिए।
गवाहों (यदि कोई हो) के नाम भी पुलिस को उनकी जांच में मदद करने के लिए दिए जाने चाहिए।
गलत जानकारी न दें, IPC 1860 के सेक्शन 203 के तहत आप पर कार्रवाई हो सकती है।
FIR में कोई भी बयान ऐसा न दें, जिसके बारे में आप खुद ही क्लियर नहीं हैं
इसके अलावा कभी भी झूठे मामलों की रिपोर्ट करने पर आपके खिलाफ भारतीय दंड संहिता यानी IPC की धारा 182 और 211 के तहत कानूनी कार्रवाई की जा सकती है।
आइये अंत में जानते है ऑनलाइन FIR दर्ज कराने के लिए इन स्टेप्स को फॉलो करें
अपने शहर या राज्य के पुलिस पोर्टल में अपना रजिस्ट्रेशन कराना होगा।
delhipolice.gov.in पर लॉग इन करें और नीचे स्क्रॉल करें।
यहां आपको Citizen Service का ऑप्शन दिखेगा।
इसके बाद Complaint Lodging, MV theft e-FIR, Theft e-FIR, Economic And Cyber offenses, Missing person report, Lost and Found आदि जैसे ऑप्शन मिलेंगे।
इन ऑप्शन को चुनकर क्लिक करें।
अगले पेज पर, अपना यूजर आईडी और फोन नंबर दर्ज करना होगा।
अगर LogIn आईडी और पासवर्ड पहले से नहीं है, तो जनरेट करना होगा।
मोबाइल नंबर डालकर वन टाइम OTP जनरेट भी कर सकते हैं।
लास्ट में सारी डिटेल भरने के बाद आप शिकायत दर्ज कर पाएंगे।
FIR की एक कॉपी आपके रजिस्टर्ड ईमेल अकाउंट पर भेजी जाएगी।