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नासा : ‘न्यू मून रॉकेट’ ने भरी उड़ान, आधी सदी बाद उतरेगा चंद्रमा पर स्पेसशिप

by CIN News Network
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2025 तक आम आदमी भी चांद पर जाएंगे, लॉन्चिंग के पहले हुआ था फ्यूल रिसाव

न्यूयॉर्क (आर्टेमिस 1 लांच) : लगभग आधी सदी के बाद चंद्रमा पर स्पेसशिप भेजने की दिशा में अमेरिका की स्पेस एजेंसी नासा ने सबसे बड़ा कदम बढ़ा दिया है। ओरियॉन नाम का यह स्पेसशिप 42 दिनों में चंद्रमा का चक्कर लगाकर वापस आ जाएगा। अमेरिका की स्पेस एजेंसी नासा ने करीब आधी सदी के बाद चंद्रमा पर अपना पहला मिशन सफलतापूर्वक लॉन्च कर दिया।

मिशन की लॉन्चिंग से पहले कई दिक्कतों का सामना भी करना पड़ा, लेकिन आखिरकार सब ठीक रहा। आर्टेमिस 1 मिशन के जरिए नासा चंद्रमा पर ओरियॉन स्पेसशिप को भेज रहा है। ओरियॉन स्पेसशिप 42 दिनों में चंद्रमा का चक्कर लगाकर वापस आ जाएगा। नासा चंद्रमा पर एक बेस बनाना चाहता है और 2030 एवं 2040 के दशक के अंत तक मंगल पर अंतरिक्षयात्रियों को भेजना चाहता है। नासा ने अपोलो के चंद्र लैंडर की तरह 21वीं सदी में स्टारशिप विकसित करने के लिए एलन मस्क के स्पेसएक्स को किराये पर लिया है। बता दें कि स्पेस मिशन की लॉन्चिंग से ठीक पहले नासा को अपने ‘न्यू मून रॉकेट’ में फ्यूल डालते समय नए रिसाव का पता चला। नासा ने फ्यूल लाइंस पर दबाव कम करने और ‘सील’ को मजबूत बनाए रखने के लिए फ्यूल भरने में लगने वाले समय को करीब एक घंटे बढ़ा दिया। इसके बाद ऐसा लगा कि यह कदम कारगर साबित हो रहा है, लेकिन 6 घंटे की प्रक्रिया के खत्म होते-होते, रुक-रुककर हाइड्रोजन का रिसाव शुरू हो गया। इसके मद्देनजर लॉन्चिंग टीम ने कर्मियों को एक वॉल्व को कसने के लिए ‘पैड’ पर भेजने का फैसला किया, क्योंकि रॉकेट के चंद्रमा की तरफ उड़ान भरने की उलटी गिनती शुरू हो चुकी थी। 3 हफ्ते की टेस्ट फ्लाइट सफल रही तो रॉकेट चालक दल के एक खाली कैप्सूल को चंद्रमा के चारों ओर एक चौड़ी कक्षा में ले जाएगा और फिर कैप्सूल दिसंबर में प्रशांत क्षेत्र में पृथ्वी पर वापस आ जाएगा। कई साल की देरी और अरबों से ज्यादा की लागत लगने के बाद, स्पेस लॉन्चिंग सिस्टम रॉकेट ने कैनेडी स्पेस सेंटर से उड़ान भरी। ओरियन कैप्सूल को रॉकेट के टॉप पर रखा गया था, जो उड़ान के 2 घंटे से भी कम समय में पृथ्वी की कक्षा से निकलकर चंद्रमा की ओर जाने के लिए तैयार था। यह मिशन अमेरिका के प्रोजेक्ट अपोलो का अगला फेज है।

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2025 तक आम आदमी भी चांद पर जाएंगे
प्रोजेक्ट अपोलो में 1969 से 1972 के बीच 12 अंतरिक्षयात्रियों ने चंद्रमा पर चहलकदमी की थी। इस लॉन्चिंग को नासा के आर्टेमिस मिशन की शुरुआत मानी जा रही है। यह नाम पौराणिक मान्यता के अनुसार अपोलो की जुड़वां बहन के नाम पर रखा गया है। नासा का उद्देश्य 2024 में अगली उड़ान में चंद्रमा के आसपास अपने चार अंतरिक्ष यात्रियों को भेजने का और फिर 2025 में आम लोगों को वहां उतारने का है।

3 बार टालनी पड़ी थी लॉन्चिंग
बता दें कि चंद्रमा के चक्कर लगाने के लिए एक खाली ‘कैप्सूल’ को भेजने की एजेंसी की यह तीसरी कोशिश थी। हालांकि कुछ ही घंटों में सब ठीक हो गया और मिशन लॉन्च हो गया। इससे पहले गर्मियों में 2 बार लीकेज के कारण और बाद में फिर तूफान की वजह से लॉन्चिंग को टालना पड़ा था।

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