अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा ने एक नई पृथ्वी की खोज की है. दावा किया जा रहा है कि यह हमारे ग्रह से 37 प्रकाश वर्ष की दूरी पर स्थित है. जिसका द्रव्यमान हमारे यहां से चार गुना ज्यादा है. यह सुपर अर्थ ‘रॉस 508बी’ अपने हेबिटेबल जोन के अंदर और बाहर घूमता है. जिस तरह हमारी पृथ्वी सूर्य की परिक्रमा करती है. ठीक उसी तरह यह सुपर अर्थ एम टाइप तारे की परिक्रमा करता है. इसे एक साल में सिर्फ 10.8 दिन का समय लगता है. यानी यहां तक़रीबन 11 दिनों में एक वर्ष पूरा हो जाता है.मारे सौरमंडल के बाहर स्थित ग्रहों को एक्सोप्लैनेट कहा जाता है, इसलिए रॉस 508 बी भी एक एक्सोप्लैनेट है। यह पृथ्वी से 37 प्रकाश वर्ष दूर स्थित है। नासा के अनुसार, यह एक ऐसे तारे की परिक्रमा करता है, जिसका द्रव्यमान सूर्य का 5वां हिस्सा है।
इस तारे का नाम रेड ड्वार्फ है। यह हमारे सूर्य के मुकाबले काफी ज्यादा सुर्ख लाल रंग, ठंडा और मंद प्रकाश वाला है। सुपर अर्थ 50 लाख किलोमीटर की दूरी से इसकी परिक्रमा करती है। वहीं, अपने सौरमंडल की बात करें तो पहला ग्रह बुध भी सूरज से 6 करोड़ किलोमीटर दूर स्थित है,चूंकि रॉस 508 बी और रेड ड्वार्फ के बीच दूरी काफी कम है, इसलिए एक्सोप्लैनेट को तारे की परिक्रमा करने में सिर्फ 10.8 दिन का वक्त ही लगता है। यानी, यहां पर एक साल 11 दिन के बराबर है। पृथ्वी पर एक साल 365 दिन के बराबर होता है,बता दें कि सुपरअर्थ का द्रव्यमान पृथ्वी और नेपच्यून ग्रह के बीच में है. इस रिसर्च को लीड कर रहे ऑथर डॉक्टर हेरेरा मार्टिन के मुताबिक यह खोज बहुत ही दुर्लभ है. पृथ्वी की तरह इस सुपर अर्थ की खोज में सुबारू टेलीस्कोप की मदद ली गई. जिसके लिए इंफ़्रारेड स्पेक्टोग्राफर का भी इस्तेमाल किया गया.इसकी पहचान की दुर्लभता का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि मेजबान तारे की वजह आर्वधन की जांच करने के लिए लगभग पांच दिन का समय था. जबकि ग्रह का पता केवल पांच घंटे के छोटे विरूपण के दौरान लगाया गया था. नासा की मानें तो रॉस 508 बी की सतह धरती से भी ज्यादा चट्टानी हो सकती है। इसकी कक्षा अंडाकार है, यानी यह हर वक्त तारे से एक समान दूरी पर नहीं होता। वैज्ञानिकों के मुताबिक इस तरह का ग्रह अपनी सतह पर पानी बनाए रखने में सक्षम हो सकता है। हालांकि यहां पानी या जीवन वास्तव में पनपता है या नहीं, इस पर अभी और रिसर्च की जरूरत है।