शासकीय होम साइंस कॉलेज के प्राणीशास्त्र विभाग की श्रद्धा खापरे एवं डॉ. अर्जुन शुक्ला के निर्देशन पर नई शिक्षा नीति के तहत छात्राएं कर रही प्रोजेक्ट कार्य
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पृथ्वी पर विविध प्रकार का जीवन विकसित हुआ है जो मानव के अस्तित्व में आने के साथ ही उसकी आवश्यकताओं को पूर्ण करता रहा है और आज भी कर रहा है । जैसे ही पर्यावरण में प्रतिकूलता आती है, पारिस्थितिक चक्र में व्यतिक्रम आने लगता है । जीव-जन्तुओं एवं पादपों पर संकट आना प्रारम्भ हो जाता है । यही कारण है कि वर्तमान समय में विश्व में अनेक जैव प्रजातियाँ विलुप्त हो गई हैं और अनकों संकटग्रस्त हैं । पर्यावरण सेवाओ के साथ-साथ उनके संरक्षण की भी जिम्मेदारी ना केवल वैश्विक स्तर होनी चाहिए अपितु क्षेत्रीय और स्थानीय स्तरों पर आवश्यक हैं । इसी तथ्य को देखते हुए नई शिक्षा नीति के तहत शासकीय होम साइंस कॉलेज के प्राणीशास्त्र विभाग की विभागाध्यक्ष डॉ. शम्पा जैन के मार्गदर्शन एवं श्रीमती श्रद्धा खापरे एवं डॉ. अर्जुन शुक्ला के निर्देशन पर बी.एस.सी प्रथम वर्ष की 24 छात्राओं ने फील्ड प्रोजेक्ट पर कार्य कर रही है l छात्राएं श्रद्धा खापरे एवं डॉ. अर्जुन शुक्ला के निर्देशन पर नर्मदा नदी के जीव जन्तुओ का अध्ययन, प्रजाति की पहचान एवं उनका संरक्षण, कीटों की प्रजाति जैसे महत्वपूर्ण विषय पर फील्ड में जाकर प्रोजेक्ट कार्य को पूरा कर रही है l श्रद्धा खापरे ने बताया की मधुमक्खी के कॉलोनी में उच्च स्तरीय सामाजिक संगठन पाया जाता है, अत्याधिक संख्या होने के बावजूद इन मुधमख्खियों में कार्य विभाजन व परस्पर संबंध मानव के लिए एक प्रेरणास्त्रोत है । छत्ता मधुमख्खियों की शिल्पकारिता या वस्तुकारिता का उत्कृष्ट नमूना है । डॉ. अर्जुन ने अपने शोध रिपोर्ट से बताया की नर्मदा नदी में कीट एवं मोलस्का की लगभग 55 फैमिली ऐसी है जो जल शुद्धिकरण में अपनी भूमिका अदा कर रही है, इन बेन्थिक प्रजातियों के माध्यम से छात्राओं को जल एवं जीव संरक्षण हेतु विस्तृत दिशा निर्देश भी दिए जा रहे ताकि आगामी भविष्य में ये छात्राएं इस तथ्य के प्रति जागरुकता पैदा कर सके ।
पर्यावरण व जैव विविधता के प्रति छात्राओं में बढ़ रहा रुझान
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