राजस्थान में लंपी स्किन वायरस गोवंश में तेजी से फैल रही है। गोशालाओं में रहने वाले गोवंश में इसका असर अधिक देखने को मिल रहा है। दस दिन में यह बीमारी प्रदेश के कई जिलों में फैल चुकी है। खतरनाक बीमारी से अब तक करीब 340 गायों की मौत हो चुकी है, जबकि 1440 गाय इस संक्रमण की चपेट में आ चुकी हैं, राजस्थान सरकार ने प्रभावित जिलों में मेडिसिन खरीद के लिए 2 से 12 लाख रुपए तक का बजट दिया है। जिलों को पूरी पावर दी गई है। अब जेनरिक के साथ ही ब्रांडेड दवाएं भी जिला स्तर पर ही खरीदी जा सकेंगी। जयपुर से बुधवार को जोधपुर के लिए मेडिसिन की खेप भी रवाना की जा रही है। डिवीज़नल हेडक्वार्टर ऑफिस- अजमेर, बीकानेर और जोधपुर को 8 लाख से 12 लाख रुपए और बाकी प्रभावित जिलों को 2 से 8 लाख रुपए का बजट दिया गया है। यह पहले से जारी इमरजेंसी बजट के अलावा फंड है’
बीमारी के लक्षण की बात करे तो पशु चिकित्सक के अनुसार लंपी स्किन डिसीज का सबसे ज्यादा असर दुधारू पशुओं पर दिख रहा है। यह डिसीज होने पर पशुओं के शरीर पर गांठें बनने लगती हैं। उन्हें तेज बुखार आता है, साथ ही सिर और गर्दन में तेज दर्द होता है। डिसीज के चपेट में आने से पशुओं के दूध देने की क्षमता भी घट जाती है,मुख्य सचिव उषा शर्मा ने लंपी डिजीज को 15 दिन में कंट्रोल करने के निर्देश पशुपालन विभाग और जिला कलेक्टर्स को दिए हैं। 4 जिलों- बाड़मेर, जालोर, जोधपुर, सिरोही संक्रमण ज्यादा होने के कारण क्लोज मॉनिटरिंग की जा रही है। बाड़मेर में हालात बिगड़ने पर जयपुर से एडिशनल डायरेक्टर पीसी भाटी को भेजा गया है। इनके अलावा गंगानगर में कुछ गायों की मौतों की सूचना है। डूंगरपुर, बांसवाड़ा, उदयपुर, राजसमंद और गुजरात बॉर्डर से सटे जिलों में भी अलर्ट है,हैरानी की बात तो यह है कि इतनी गायों की मौत के बाद भी पशुपालन विभाग ने गोवंश के इलाज के लिए कोई गाइडलाइन जारी नहीं की है। अधिकारियों का कहना है कि इसका कोई टीका नहीं है। उधर, गोशाला संचालक देशी तरीके से संक्रमित गोवंश का इलाज कर रहे हैं। संक्रमण की चपेट में आए गोवंश को अलग रखकर इलाज किया जा रहा है। स्थानीय लोग धूप और नीम के पत्तों का रस देकर उनका उपचार कर रहे हैं।डॉक्टरों ने अनुसार लंपी स्किन डिसीज मच्छरों और मक्खियों जैसे खून चूसने वाले कीड़ों से फैलता है। दूषित पानी और चारे के कारण पशुओं को यह संक्रमण अपनी चपेट में लेता है। अगर किसी पशु में इस बीमारी के लक्षण दिखें तो अन्य गाय-भैंसों से अलग कर दें। किसी अन्य पशु को उनका झूठा पानी या चारा न खिलाएं। साथ ही पशु रखने वाले स्थान पर साफ-सफाई का विशेष रूप से ध्यान रखें,सरकार के सर्वे में 3125 गौवंश की मौतें रिकॉर्ड हुई हैं। यहां जिन 11 जिलों में इंफेक्शन फैला है, उनमें 70 से 80 लाख कैटल हैं। बीमार मिले 78 से 80 हजार गौवंश का अब तक ट्रीटमेंट किया जा रहा है। उधर, गुजरात में लंपी संक्रमण को लेकर हालात भयावह हो चुके हैं। खासकर कच्छ और सौराष्ट्र अंचलों में बड़ी संख्या में गौवंश इसकी चपेट में हैं।