सुप्रीम कोर्ट ने सरकारी नौकरी के लिए आवेदन फार्म में अलग-अलग भाषा भरने पर एलिजिजिबिलिटी कैंसिल करना सही ठहराया है। कोर्ट ने कहा कि आवेदन फार्म को अगर कोई अलग-अलग भाषा में भरे तो नियोक्ता को आवेदन रद्द करने का अधिकार है,सुप्रीम कोर्ट ने सरकारी नौकरी के लिए आवेदन फार्म में अलग-अलग भाषा भरने पर एलिजिजिबिलिटी कैंसिल करना सही ठहराया है। कोर्ट ने कहा कि आवेदन फार्म को अगर कोई अलग-अलग भाषा में भरे तो नियोक्ता को आवेदन रद्द करने का अधिकार है,दरअसल, एक युवक को आरपीएफ की भर्ती के लिए आवेदन फार्म भरने में बरती गई एक छोटी लापरवाही भारी पड़ गई। युवक ने नौकरी का फार्म तो अंग्रेजी में भरा था, मगर टेस्ट देने गया तो उसने हिंदी भाषा का प्रयोग किया। इस कारण उसे नौकरी से हाथ धोना पड़ा। इसके बाद उसने कोर्ट का दरवाजा खटखटाया,,सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस हेमंत गुप्ता और जस्टिस विक्रमनाथ की बेंच ने केंद्र सरकार के पक्ष में अपना निर्णय सुनाया। उन्होंने कहा कि सरकारी नौकरी के लिए आवेदन फार्म को अगर कोई अलग-अलग भाषा में भरे तो नियोक्ता को आवेदन रद्द करने का अधिकार है,कोर्ट ने कहा कि एक तरह की भाषा का प्रयोग करने की उम्मीद किसी आवेदन से इसलिए की जाती है, ताकि किसी तरह का विवाद होने पर उम्मीदवार द्वारा प्रयोग की गई भाषा शैली का इस्तेमाल कर यह पता लगाया जा सके कि आवेदनकर्ता सही है या नहींयाचिकाकर्ता महेंद्र सिंह ने साल 2011 में आरपीएफ की नौकरी के लिए आवेदन फार्म अंग्रेजी में भरा और हस्ताक्षर हिंदी में किए। 2013 में उसने नौकरी के लिए लिखित परीक्षा दी तो ओएमआर शीट को हिंदी में भरा और अपने हस्ताक्षर भी हिंदी में किए,इसके बाद हैंडराइटिंग एक्सपर्ट को दोनों भाषाओं को मिलाने के लिए कहा गया, लेकिन वह बता नहीं पाए कि यह दोनों एक ही व्यक्ति की लिखावट है।