बीते दो साल में कोरोना की वजह से शहर में प्लास्टिक कचरे का इस्तेमाल बढ़ा है। ज्यादातर होम आइसोलेशन और अस्पतालों के मरीजों ने डिस्पोजल आइटम का उपयोग किया, जिससे प्लास्टिक कचरे में बढ़ोतरी देखी गई थी। हालांकि अब मरीजों की संख्या कम होने से प्लास्टिक वेस्ट में कमी देखी जा रही है। कोरोना काल से देखा जाये तो हर राज्य से लाखो क़्वींटल की मात्रा में प्लास्टिक का कचरा निकल रहा है, लेकिन आपको बता दें की सिंगल यूज प्लास्टिक बैन के चलते हज़ारों महिलाओं को नया रोजगार मिलने की पूरी उम्मीद है। शहरी और ग्रामीण क्षेत्र में रोजगार से महिला समूह की महिलाएं अब प्लास्टिक के इस्तेमाल को रोकने के लिए वैकल्पिक उत्पाद जैसे कपड़े के थैले, कागज के लिफाफे और दूसरे सामान बना पाएंगी, एक तरीके से ये स्वरोज़गार का भी एक बहुत अच्छा साधन बन सकता है,दरअसल, कोरोना काल के दौरान शहर में मास्क की कमी को दूर करने के लिए महिला समूहों की मदद ली गई थी। अब इसी तर्ज पर अब महिला समूहों दवारा कपडे व अन्य सामग्रियों से सस्ते दरों पर पैकेट व थैले बना सकती हैं प्लास्टिक पर असरदार तरीके से बैन लगाने के लिए सस्ते दरों पर वैकल्पिक सामग्रियां उपलब्ध कराएंगी। आपको बता दे कुछ राज्यों में सर्कार द्वारा स्वयं इस दिशा में कदम आगे बढ़ा दिए गए है और अगर सभी राज्य की सरकारें ऐसी पहल करे तो ये वाकई बहुत बड़ा और लाभकारी कदम सिद्ध होगा महिलाओं को रोज़गार उपलब्ध करने के लिए, ये प्रकृति को बिना नुक्सान पहुचाये एक अच्छा स्त्रोत बन आकर उभरेगा।