त्रिची। उम्र भर के लिए पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी हत्याकांड में जेल में बंद नलिनी और आरपी रविचंद्रन सहित छह आरोपियों को सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर रिहा कर दिया गया। सुप्रीम कोर्ट ने 11 नवंबर को राजीव गाधी के हत्यारों को रिहा करने का आदेश दिया था। जिसके बाद उन्हें बीते कल यानी 12 नवंबर को जेल से रिहा किया गया।
बता दें कि 21 मई 1991 की रात राजीव गांधी की तमिलनाडु के श्रीपेरुंबदूर में एक चुनावी सभा के दौरान हत्या कर दी गई थी। इसके लिए धानु नाम की एक महिला आत्मघाती हमलावर का इस्तेमाल किया गया था। इस पूरी साजिश में नलिनी की को मृत्युदंड की सजा सुनाई गई थी जिसे 2001 में यह देखते हुए उम्र कैद में बदल दिया गया था। राजीव गांधी की हत्या के चार दोषी त्रिची में स्पेशल कैंप में पहुंचे। अपराधी रॉबर्ट पायस और जयकुमार को पुझल केंद्रीय जेल से रिहा किया गया वहीं मुरुगन और संथन को वेल्लोर केंद्रीय जेल से और नलिनी श्रीहरन को वेल्लोर जेल से रिहा किया गया। जेल से छूटते ही दोषियों के बयान भी सामने आए। उन्होंने कहा, उत्तर भारत के लोगों को हमें आतंकवादी या हत्यारे के बजाय पीड़ित के रूप में देखना चाहिए। यह वक्त तय करेगा कि हम आतंकवादी हैं या स्वतंत्रता सेनानी। हमें पूरा यकीन है कि समय हमें निर्दोष साबित करेगा। भले ही हमें लोग आतंकवादी ही क्यों न समझें।
नलिनी श्रीहरन ने कहा, मैं तमिलनाडु के लोगों की शुक्रगुजार हूं, जिन्होंने 32 साल तक मेरा साथ दिया। मैं राज्य और केंद्र सरकार दोनों को धन्यवाद देती हूं। नलिनी श्रीहरन के भाई बकियानाथन ने भी अपनी बहन के जेल से बाहर आने पर खुशी जाहिर की। उसने कहा, “नलिनी और हमारा परिवार आज बहुत खुश हैं। वह अपने परिवार के साथ एक सामान्य जीवन जीने जा रही है। राजीव गांधी हत्याकांड में नलिनी श्रीहरन और चार अन्य दोषियों को शनिवार शाम को तमिलनाडु की जेलों से रिहा कर दिया गया है। वेल्लोर में महिलाओं की विशेष जेल से रिहा होने के तुरंत बाद नलिनी वेल्लोर केंद्रीय जेल गई, जहां से उसके पति वी. श्रीहरन उर्फ मुरुगन को रिहा किया गया। पति से मिलकर नलिनी भावुक हो गई।
सुप्रीम कोर्ट ने राजीव गांधी हत्याकांड में आजीवन कारावास में बंद नलिनी श्रीहरन और आर.पी. रविचंद्रन को समय से पहले रिहा करने का शुक्रवार को आदेश दिया। न्यायाधीश बी.आर. गवई और न्यायाधीश बी.वी. नागरत्ना की पीठ ने कहा कि मामले के दोषियों में से एक आरोपी ए.जी. पेरारिवलन के मामले में शीर्ष अदालत का पहले दिया गया फैसला इन दोनों के मामले में भी लागू होता है।