एमपी में महाकाल लोक का शुभारंभ शुरू हो गया है। इसके साथ ही इसके निर्माण कार्यों में कथित रूप से वित्तीय अनियमितता के आरोप लग रहे है। इसकी शिकायत के बाद एमपी लोकायुक्त ने उज्जैन कलेक्टर और दो आईएएस समेत 15 लोगों को नोटिस जारी किया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पहले चरण के कार्यों का उद्घाटन किया है। यह 850 करोड़ रुपये की लागत से तैयार हो रहे महाकाल कॉरिडोर विकास परियोजना के पहले चरण का हिस्सा है।आरोप है कि अधिकारियों ने अपने आधिकारिक पद का दुरुपयोग कर एक ठेकेदार को वित्तीय लाभ पहुंचाया है। लोकायुक्त ने अधिकारियों को नोटिस जारी कर 28 अक्टूबर तक जवाब देने के लिए कहा है। एजेंसी के सूत्रों ने हमारे सहयोगी अखबार टाइम्स ऑफ इंडिया को बताया कि गलियारे में एक घटिया गुणवत्ता वाली पार्किंग का निर्माण किया गया था और ठेकेदारों ने अनुचित बिल बनाए थे, जिन्हें सक्षम अधिकारियों ने सही जांच के बिना ही मंजूरी दे दी। लोकायुक्त ने इन अधिकारियों को नोटिस जारी कर कहा है कि शिकायतकर्ता की तरफ से जो आरोप लगाए हैं, वह प्रारंभिक जांच में सही पाए गए हैं।लोकायुक्त की तरफ से उज्जैन कलेक्टर और स्मार्ट सिटी के अध्यक्ष आशीष सिंह, उज्जैन स्मार्ट सिटी के तत्कालीन सीईओ क्षितिज सिंह और तत्कालीन आयुक्त अंशुल गुप्ता को नोटिस भेजा गया है। इसके साथ ही उज्जैन स्मार्ट सिटी के नामित निदेशक सोजन सिंह रावत, दीपक रत्नावत, स्वतंत्र निदेशक श्रीनिवास नरसिम्हा राव पांडुरंगी, स्मार्टी उज्जैन के मुख्य परिचालन अधिकारी आशीष पाठक, तत्कालीन मुख्य परिचालन अधिकारी जितेंद्र सिंह चौहान शामिल हैं। साथ ही कुछ इंजीनियर और अन्य अधिकारी भी हैं। दरअसल, उज्जैन स्मार्ट सिटी महाकाल लोक का निर्माण करवा रही है। महाकाल लोक परियोजना पर 856 करोड़ रुपये खर्च होने हैं। इसके पहले चरण में 316 करोड़ रुपये की लागत से महाकाल लोक कॉरिडोर को विकसित किया गया है। इस विकास परियोजना का उद्देश्य भीड़भाड़ कम करना है। साथ ही ऐतिहासिक चीजों को संरक्षित करना है। मंदिर में हर साल अभी डेढ़ करोड़ लोग आते हैं महाकाल लोक के बाद इसे डबल होने की उम्मीद है।