पैरासिटामोल दवा ‘डोलो’ बनाने वाली कंपनी ने डॉक्टरों पर उपहार के लिए 1000 करोड़ से अधिक रुपये खर्च किए। मे़डिकल रिप्रजेंटेटिव की एक बॉडी ने आरोप लगाते हुए गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट को यह जानकारी दी। कोविड महामारी के दौरान ‘डोलो’ दवा बेहद लोकप्रिय हुई थी और खूब इस्तेमाल में लाई गई,फेडरेशन ऑफ मेडिकल एंड सेल्स रिप्रेजेंटेटिव असोसिएशन ऑफ इंडिया की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता संजय पारिख ने पीठ से कहा, ‘डोलो कंपनी द्वारा 650mg फॉर्मूलेशन के लिए 1000 करोड़ रुपये से अधिक मुफ्त उपहार दिए गए हैं। डॉक्टर एक तर्कहीन डोज कॉम्बिनेशनल लिख रहे थे।’ उन्होंने अपनी जानकारी के स्रोत के रूप में केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) की एक रिपोर्ट का भी हवाला दिया,जस्टिस एएस बोपन्ना के साथ पीठ में शामिल और बेंच का नेतृत्व कर रहे डीवाई चंद्रचूड़ ने सुनवाई के दौरान कहा, ‘आप जो कह रहे हैं वह मेरे लिए संगीत की तरह नहीं है। यह (दवा) ठीक वही है जो मेरे पास कोविड के समय थी।’
फेडरेशन ऑफ मेडिकल एंड सेल्स रिप्रेजेंटेटिव एसोसिएशन ऑफ इंडिया की ओर से दायर जनहित याचिका में भारत में बेची जा रही दवाओं के फार्मूलेशन और कीमतों पर नियंत्रण को लेकर चिंता जताई गई है। जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ और जस्टिस एएस बोपन्ना की पीठ ने संजय पारिख की दलीलें सुनने के बाद कहा कि यह एक गंभीर मुद्दा है,अदालत ने अब केंद्र से एक सप्ताह के भीतर जनहित याचिका पर अपना जवाब दाखिल करने को कहा है और कहा कि 10 दिनों के बाद मामले की फिर से सुनवाई करेगी। बेंच ने कहा, ‘यह एक गंभीर मुद्दा है।’
Dolo-650 लिखने के लिए डॉक्टरों को 1000 करोड़ के मुफ्त उपहार बांटे जाने के आरोप पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा- ये गंभीर मुद्दा
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