भोपाल। प्रदेश के डायबिटीज रोगियों के लिए ये बुरी खबर से कम नहीं है। कई सरकारी अस्पतालों से आर्थिक रूप से कमजोर परिवारों के मरीजों को मुफ्त मिलने वाले ग्लार्जिन इंसुलिन के इंजेक्शन अचानक से गायब कर दिए गए हैं। जो इंजेक्शन जून-जुलाई के महीने में मरीजों को आसानी से उपलब्ध थे, वह अब किसी अधिकांश अस्पतालों में उपलब्ध नहीं हैं।
यही वजह है कि मजबूरी में लोगाें को अब महीने में डायबिटीज के मरीजों के लिए 2100 रुपए तक खर्च करने पड़ रहे हैं। सरकारी अस्पतालों से इंसुलिन क्यों और कैसे गायब हो गए, इसका जवाब किसी के पास भी नहीं है। यहां तक कि सीएम हेल्प लाइन पर शिकायत किए जाने पर भी कोई हल नहीं निकला। आश्चर्य की बात तो ये है कि इंसुलिन केंद्र सरकार की आवश्यक औषधियों की सूची में शामिल है, लेकिन प्रदेश की सूची से इसे हटा दिया गया है।
प्रदेश में 40 वर्ष से ऊपर की करीब 20 फीसदी आबादी डायबिटिक है। बदली हुई लाइफ स्टाइल की वजह से बच्चों में भी यह बीमारी घर कर गई है। इनमें बड़ी संख्या ऐसे मरीजों की है, जो ग्लार्जिन इंसुलिन का एक डोज भी मिस नहीं कर सकते, वरना उनकी जान पर बन आती है। डायबिटीज से वैसे तो शरीर के कई अंगों पर प्रभाव पड़ता है, लेकिन आंखों, किडनी, हार्ट, लिवर को अधिक खतरा रहता है। रोग प्रतिरोधक क्षमता भी कम होती है। इसी को ध्यान में रखते हुए केंद्र सरकार ने इंसुलिन के इंजेक्शन को अस्पतालों से नि:शुल्क मिलने वाली अत्यावश्यक दवाओं की सूची में शामिल किया है।
भोपाल से बंद हो गई सप्लाई
इंदौर जिला अस्पताल, लाल अस्पताल, मांगीलाल चूरिया डिस्पेंसरी, पीसी सेठी अस्पताल, बाणगंगा, एमवायएच एवं सुपर स्पेशलिटी सहित किसी अस्पताल में यह जीवनरक्षक दवा नहीं मिल रही है। पूछने पर जवाब मिलता है कि यही हालात पूरे प्रदेश के हैं क्योंकि भोपाल से ही इसकी सप्लाई बंद हो गई है। फिलहाल इसकी खरीदी भी बंद कर दी गई है।