डायबिटीज को लेकर कई रिसर्च की गई हैं और स्टडीज कहती हैं कि इस बीमारी से ग्रसित होने का काफी देर में पता चलता है. रिसर्च कहती है कि करीब 90 फीसदी लोगों को बहुत देर में पता चलता है कि वे डायबिटीज के मरीज बन चुके हैं. अधिकतर मरीजों को शुगर होने के बाद बचा हुआ जीवन दवा के सेवन के साथ गुजारना पड़ता है. वैसे इसका इलाज संभव नहीं है, लेकिन शरीर के ब्लड शुगर लेवल को कंट्रोल में रखा जा सकता है. इसके लिए हेल्दी डाइट और बेहतर लाइफस्टाइल के रूटीन को फॉलो करना चाहिए. क्या आप जानते हैं कि डायबिटीज के मरीजों को बिगड़ी हुई मेंटल हेल्थ की शिकायत भी हो सकती है.डायबिटीज पेशेंट के लिए एक स्टडी में जरूरी जानकारी सामने आई है. जिसके मुताबिक स्वस्थ जीवनशैली से टाइप 2 मधुमेह (टी2डी) वाले लोगों में मनोभ्रंश रोग (डिमेंशिया) का खतरा कम हो सकता है, एक नए अध्ययन (New Study) में यह बात सामने आई है. अध्ययन में पाया गया कि टी2डी और अस्वस्थ जीवनशैली वाले व्यक्तियों में टी2डी के बिना और बहुत स्वस्थ जीवनशैली वाले लोगों की तुलना में मनोभ्रंश विकसित होने की संभावना अधिक थी. हालांकि, एक स्वस्थ जीवनशैली ने टी2डी विकासशील मनोभ्रंश वाले लोगों की संभावना को लगभग आधा कर दिया. आपको बता दें अध्ययन के लिए स्टॉकहोम में यूरोपीय एसोसिएशन फॉर द स्टडी ऑफ डायबिटीज (ईएएसडी) की वार्षिक बैठक में प्रस्तुत किया गया, टीम ने डिमेंशिया के विकास के लिए यूके बायोबैंक अध्ययन के लगभग 450,000 प्रतिभागियों को ट्रैक किया.अध्ययन में पाया गया कि टी2डी और अस्वस्थ जीवनशैली वाले व्यक्तियों में टी2डी के बिना और बहुत स्वस्थ जीवनशैली वाले लोगों की तुलना में मनोभ्रंश विकसित होने की संभावना अधिक थी. हालांकि, एक स्वस्थ जीवनशैली ने टी2डी विकासशील मनोभ्रंश वाले लोगों की संभावना को लगभग आधा कर दिया.
आगे विश्लेषण से पता चला कि एक स्वस्थ जीवनशैली टी2डी वाले लोगों में मनोभ्रंश के जोखिम को कम करती है. मधुमेह और स्वस्थजीवन शैली वाले व्यक्तियों में मधुमेह और अस्वस्थ जीवनशैली वाले लोगों की तुलना में मनोभ्रंश विकसित होने की संभावना 45 प्रतिशत कम थी 445,364 प्रतिभागियों (54.6 प्रतिशत महिला) की औसत आयु 55.6 वर्ष थी और उनका पालन 9.1 वर्ष के औसत के लिए किया गया था. इस अवधि के प्रारंभ में सभी मनोभ्रंश से मुक्त थे.
एक अस्वास्थ्यकर जीवनशैली और भी अधिक मजबूती से मनोभ्रंश से जुड़ी थी. सबसे कम स्वस्थ जीवनशैली वाले प्रतिभागियों में स्वस्थ जीवनशैली वाले लोगों की तुलना में मनोभ्रंश विकसित होने की संभावना 65 प्रतिशत अधिक थी.