महाराष्ट्र में हुए सियासी बदलाव का असर आप राजनैतिक गलियारों में नज़र आने लगा है और इस बीच बयानों की राजनीति ने जोर पकड़ लिया है। आपको बता दें कि शिवसेना के मुखपत्र सामना में कुछ ऐसा छपा और नेता संजय राउत ने कुछ ऐसा कहा है। जिसने महाराष्ट्र की सियासत का पारा मानों सातवें आसमान पर पहुंचा दिया है। इसमें साफ तौर पर लिखा है कि महाराष्ट्र में आए इस राजनीतिक भूचाल के पीछे और कोई नहीं बल्कि दिल्ली में बैठी सरकार है। उस लेख में ये भी लिखा था कि महाराष्ट्र में जो भी हुआ उसकी पठकथा पहले ही लिखी जा चुकी थी। इतना है नही राज्यपाल की भूमिका पर भी सवाल उठने लगे है और महाराष्ट्र के राज्यपाल को भी कटघरे में खड़ा कर दिया गया है। इसका मतलब साफ है कि इस पूरे सियासी नाटक में राज्यपाल की भूमिका भी अहम रही होगी। पार्टी मुखपत्र में कहा गया, एकनाथ शिंदे का मुख्यमंत्री बनना, ये बात फडणवीस के लिए किसी सदमें से कम नहीं है। लेख की माने तो सियासी समीकरण को सही दिशा में साधने के लिए ही ऐसा कदम उठाया गया है। उस लेख में ये भी लिखा है कि शिंदे के मुख्यमंत्री बनने के पीछे अमित शाह की गंदी राजनीति है। आपको बता दे कि सामना में छपे लेख के मुताबिक, 2019 में सत्ता का 50-50 के फॉर्मूला को भाजपा ने कुर्सी के लालच में ठुकरा दिया था। महाविकास आघाड़ी की सरकार इसी वजह से बनी। उद्धव ठाकरे ढाई साल मुख्यमंत्री बने और अब बागी शिवसैनिक शिंदे को यह पद बीजेपी हाईकमान ने दिया है। लेख में भाजपा पर निशाना साधते हुए ये भी कहा कि ये सब समय का खेल है। तभी तो लाख कोशिश करने के बावजूद भी मुख्यमंत्री शिवसेना का ही बना। इतना है नहीं सामना पत्र में फडणवीस और अमित शाह के संबधों को भी खराब बताया गया है।