पूर्व पाकिस्तानी क्रिकेटर मोहम्मद हफीज ने हाल ही में ट्विटर पर लिखा कि लाहौर में पेट्रोल पंपों में न तेल है और न ही एटीएम में पैसे। इससे पाकिस्तान के आर्थिक संकट को लेकर नई चर्चा शुरू हो गई है। माना जा रहा है कि पाकिस्तान एक बड़े आर्थिक संकट का सामना कर रहा है। इस संकट के बीच पाकिस्तान की शाहबाज शरीफ सरकार ने एक ही झटके में डीजल-पेट्रोल के दाम 30 रुपए लीटर तक बढ़ाकर आम आदमी की हालत पतली कर दी है। इसके साथ ही वहां पेट्रोल-डीजल की कीमतों ने अब तक के सारे रिकॉर्ड तोड़ दिए। इस बढ़ोतरी के साथ ही पाकिस्तान में एक लीटर पेट्रोल की कीमत 180 रुपए, डीजल की कीमत 174 रुपए प्रति और केरोसिन की कीमत 156 रुपए प्रति लीटर हो गई। बढ़ती महंगाई, रिकॉर्ड तोड़ तेल की कीमत, अस्थिर राजनीतिक माहौल। पिछले कई महीनों से अपनी खस्ताहाल अर्थव्यवस्था को संभालने में जुटा पाकिस्तान इसमें कामयाब होता नहीं दिख रहा है।
रिपोर्ट्स के मुताबिक, पाकिस्तानी सरकार 1 जून से बिजली की कीमतों में 5 रुपए प्रति यूनिट तक की बढ़ोतरी कर सकती है। माना जा रहा है कि बिजली की कीमतों में कुल 12 रुपये प्रति यूनिट तक वृद्धि हो सकती है, जिसमें 5 रुपये प्रति यूनिट बिजली सब्सिडी खत्म करने से बढ़ेंगे। इससे पहले पिछले महीने भी पाकिस्तान में बिजली महंगी हुई थी और प्रति यूनिट 4.80 रुपये की बढ़ोतरी की गई थी। हाल के महीनों में पाकिस्तान में गैस, कोयला और फर्नेस आयल पर चलने वाले कई बिजली संयंत्रों को बंद कर दिया गया है, जिससे भारी गर्मी के मौसम में लोगों को वहां बिजली कटौती का सामना करना पड़ रहा है।
पाकिस्तान को बड़े आर्थिक संकट से बचाने के लिए शहबाज शरीफ सरकार ने आपात आर्थिक योजना लागू की है। इसके तहत 38 गैरजरूरी व लग्जरी वस्तुओं के आयात पर पाबंदी लगा दी गई है। शहबाज सरकार ने यह कदम डॉलर के मुकाबले पाकिस्तानी रुपए के मूल्य में आई रिकॉर्ड गिरावट के बीच लिया है। पाकिस्तान का भी विदेशी मुद्रा भंडार यानी डॉलर तेजी से कम हो रहा है। ऐसे में सरकार नहीं चाहती कि देश में गैर जरूरी सामान के आयात पर डॉलर को खर्च किया जाए।