राजस्थान में एक अनोखा मामला सामने आया है। यहां एक महिला मां बनना चाहती है लेकिन उसका पति उम्रकैद की सजा काट रहा है। महिला कलेक्टर और जेलर से लेकर अदालत तक गुहार लगा चुकी है कि वह मां बनना चाहती है। अब राजस्थान हाई कोर्ट ने उसकी अर्जी मंजूर कर फैसला दिया है। अदालत ने महिला की मांग को जायज ठहराते हुए उसके पति को पैरोल दे दी। अब पति को 15 दिन की पैरोल पर छोड़ा गया है ।यह पूरा मामला भीलवाड़ा जिले के रबारियों की ढाणी का है। यहां का रहने वाला नंदलाल 6 फरवरी 2019 से अजमेर जेल में उम्रकैद की सजा काट रहा है। सजा मिलने से कुछ समय पहले ही उसकी शादी हुई थी। उम्रकैद की सजा काट रहे पति से बच्चे की चाह में उसकी पत्नी ने पहले कलेक्टर के पास अर्जी दी लेकिन कलेक्टर ने उसकी अर्जी को गंभीरता से नहीं लिया।
इसके बाद महिला ने जेलर से पति को छोड़ने की मांग की लेकिन वहां भी सुनवाई नहीं हुई तो वह सीधे हाई कोर्ट जा पहुंची।राजस्थान हाई कोर्ट में जज संदीप मेहता और फरजंद अली की बेंच ने सुनवाई करते हुए कहा कि पैरोल में बच्चा पैदा करने के लिए वैसे तो कोई साफ नियम नहीं हैं। लेकिन वंश के संरक्षण के उद्देश्य से संतान होने को धार्मिक दर्शन भारतीय संस्कृति और विभिन्न न्यायिक घोषणाओं के माध्यम से मान्यता दी गई है। जजों ने वेदों का उदाहरण दिया और संतान उत्पत्ति को मौलिक अधिकार भी बताया। हिंदु दर्शन के अनुसार गर्भधारण करना 16 संस्कारों में सबसे ऊपर है, इस कारण अनुमति दी जा सकती है।