भोपाल । नगरीय प्रशासन एवं विकास मंत्री भूपेंद्र सिंह ने कहा कि नगर निगमों में महापौर, नगर पालिका एवं नगर परिषदों में अध्यक्ष पद के चुनाव प्रत्यक्ष प्रणाली से चुनाव कराए जाएंगे, इन्हें सीधे जनता चुनेगी। महापौर और अध्यक्ष शहर का प्रतिनिधित्व करते हैं। इन्हें जनता से ही निर्वाचित होना चाहिए। प्रत्यक्ष चुनाव से जोड़-तोड़ खरीद-फरोख्त की गुंजाइश नहीं होती है। निष्पक्षता के साथ जनता को अपना महापौर अध्यक्ष चुनने का अवसर मिलता है। हम अध्यादेश लाएंगे। इसके लिए आयुक्त नगरीय प्रशासन एवं विकास को सूचित कर दिया गया है। गौरतलब हैं कि नवदुनिया ने शनिवार को ही बता दिया था कि शिवराज सरकार अध्यादेश के जरिये कमल नाथ सरकार के उस फैसले को पलट देगी, जिसके अनुसार महापौर और अध्यक्षों का चुनाव सीधे जनता द्वारा न करके पार्षदों के माध्यम से होना था।
महापौर और अध्यक्षों के सीधे निर्वाचन को लेकर शिवराज सरकार दिसंबर 2020 में भी अध्यादेश ला चुकी थी, लेकिन विधानसभा से विधेयक पारित नहीं होने के चलते यह अध्यादेश स्वत: समाप्त हो गया था। गौरतलब है कि वर्ष 2019 में तत्कालीन कमल नाथ सरकार ने मध्यप्रदेश नगर पालिका अधिनियम में संशोधन कर महापौर, नगर पालिका एवं नगर परिषद के अध्यक्षों के सीधे निर्वाचन को खत्म कर दिया था। यानी इन पदों पर निर्वाचन पार्षदों द्वारा होने का नियम लागू हो गया था, जो आज भी प्रभावशील है। इसे ही अब शिवराज सरकार पलटने जा रही है।
ये हैं राजनीतिक मायने
महापौर और अध्यक्ष के जनता द्वारा सीधे चुनाव से भारतीय जनता पार्टी को शहरी क्षेत्रों में खासा लाभ मिल सकता है। इसकी वजह यह है कि भाजपा की पकड़ शहरी क्षेत्रों में ज्यादा है। अप्रत्यक्ष निर्वाचन से नगर निगम, नगर पालिका और नगर परिषदों में राजनीतिक समीकरण को लेकर अस्थिरता की आशंका हमेशा बनी रहेगी। आम जनता भी यह बात समझती है इसलिए भाजपा को इसका फायदा मिलेगा।