कोरोना की दूसरी लहर में मरीजों के लिए बेड, ऑक्सीजन और दवाओं का संकट बढ़ा तो मुनाफे के चक्कर में सैकडों नए अस्पताल खुल गए थे। इन अस्पतालों में एक ही डॉक्टर के नाम को कई अस्पतालों ने लिखवा कर स्वास्थ्य विभाग में पंजीयन भी करा लिया था। प्रायवेट अस्पतालों के इस फर्जीवाडे़ पर अब स्वास्थ्य महकमे ने सख्ती दिखाई है। अब एक ही डॉक्टर के नाम से कई अस्पताल नहीं चलेंगे और न ही अलग-अलग अस्पताल के बोर्ड में नाम लिखा जा सकेगा। बतौर कंसल्टेंट डॉक्टर को अधिकतम तीन अस्पतालों में जाने की छूट रहेगी। अब रेजिडेंट डॉक्टर के नाम से पंजीकृत अस्पताल के अलावा दूसरे नर्सिंग होम उस डॉक्टर का नाम अपने बोर्ड पर नहीं लिखवा सकेंगे। हालांकि रेजिडेंट के तौर पर पंजीकृत डॉक्टर बतौर कंसल्टेंट अधिकतम तीन अस्पतालों में जाकर इलाज और सर्जरी कर सकेंगे।
स्वास्थ्य आयुक्त डॉ.सुदाम खाड़े का कहना है कि कई बार ऐसी शिकायतें मिलतीं रहीं हैं कि एक डॉक्टर के नाम से कई नर्सिग होम और निजी अस्पताल चल रहे हैं। जबकि वास्तविकता में वह डॉक्टर वहां कई बार उपलब्ध नहीं होता। ऐसे में मरीजों को समय पर विशेषज्ञ चिकित्सक से इलाज नहीं मिल पाता। अब रेजिडेंट डॉक्टर्स के नाम का उपयोग एक से ज्यादा अस्पताल में नहीं किया जा सकेगा। सरकार चाहती है कि लोगों को सही जानकारी और अच्छा उपचार मिले।
स्वास्थ्य विभाग से मिली जानकारी के अनुसार कोरोना संकटकाल में भोपाल में सौ से ज्यादा नए प्रायवेट अस्पताल खुले हैं। सीएमएचओ ऑफिस में कराए गए रजिस्ट्रेशन के अनुसार साल 2020 में भोपाल जिले में 30 नए नर्सिंग होम रजिस्टर्ड हुए। साल 2021 में 75 एलोपैथिक और 5 निजी आयुर्वेदिक अस्पताल खुले हैं। इस साल के शुरूआती चार महीने में 20 नए नर्सिंग होम रजिस्टर्ड हुए हैं।
स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी बताते हैं कि इस व्यवस्था के तत्काल बाद नर्सिंग होम रजिस्ट्रेशन के पोर्टल पर भी बदलाव कर दिए गए हैं। अब एक बार किसी अस्पताल में रेजिडेंट डॉक्टर के तौर पर पोर्टल में एंट्री होने के बाद डॉक्टर का नाम दोबारा दर्ज नहीं रहा है।